आपका क्या ख़याल है 2.

क्या आप का दिल साफ़ है…

आजकल अख़बार, टीवी, सोशल मिडिया सब जगह पर हमारे देश में होने वाले हादसों की खबरों को पढ़ कर बेहद तालीफ़ होती है. इंसान और दरिंदों में फ़रक है भी या नहीं  ऐसे सवाल उठते हैं।  हादसे दिल दहला देने वाले हैं।  कोई ऐसा कैसे कर सकता है हम बस यही सोचते रह जाते हैं। सभी गुनाहगारों को जल्द से जल्द कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। लेकिन क्या आपने इस बात पर गौर किया है,

इन नीच लोगों की वजह से हमने तमाम अच्छे लोगों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब किसी का पुरुष होना उसे दोषी समझने के लिए काफी होगा। हर अच्छी नज़र में हमें मिलावट दिखाई देगी। कोई सच्चे दिल से मदद करने के लिए आगे बढ़ा तो उस पर शक किया जायेगा।

मुझे लगता है ये बात हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरनाक साबित होगी।  शायद लोगों को हर मोड़ पर अपने साफ़ दिल होने की दलीलें पेश करनी पड़ेगी और हम एक साफ-सुथरे समाज से वंचित हो जायेंगे।