नमी (moisture in eyes)

मेरे द्वारा खींची एक और तस्वीर के लिए कुछ शब्द –

जिंदगी में खुशियाँ कुछ कम नहीं,

पर आँखों की नमी है ज्यादा

-रुपाली

kavita_31july17

Fellow bloggers please help me translating it in English.

मंज़िल को पाने का भ्रम

मेरे द्वारा खींची तस्वीर के लिए कुछ शब्द

मंज़िल को पाने का भ्रम:

मंज़िलों की कहानी भी अजीब है यारों
जो पास आने का अहसास हो
तो फ़ौरन बदल जाती है
-रुपाली

ww_29july15

जी लो जिंदगी …

जिंदगी छोटी छोटी खुशियों में मुस्कुराती है।
जी लो जिंदगी …

पूरे चाँद की तमन्ना में
न जाने कितनी रातें यूं ही गवां दी।
काश की एक झलक में
तसल्ली हो जाती।
– रुपाली

Little pleasures of life:

It has long been an axiom of mine that the little things are infinitely the most important. ~Arthur Conan Doyle

kavita_05july17

Hindi poetry: सकारात्मक रहें

रविवार के लिए विचार …
(शब्द और चित्र मेरे हैं )

जिंदगी के काफ़ी सारे बोझ
ज़रा सी देर के लिए होते हैं
हमारे विचारों की गर्मी और सही कोशिश
इन्हे पिघला देती है।

पर न जाने क्यों
हम इनकी तरफ पीठ किये
बरसों बरस निराशा की
ठंड में इन्हें उठाये जाते हैं।
-रुपाली

kavita_11june17

मैं, रसोई की खिड़की और चाँद

मेरे द्वारा खींची तस्वीर के लिए कुछ शब्द –
मैं, रसोई की खिड़की और चाँद

बड़े रौब से कहे कि तनहा है वो
रसोई की खिड़की से झाँक कर चाँद चुगली कर गया।
-रुपाली

kavita_04june17

शौक फरमाइए

लिखने की तमन्ना में सब इंतजामात किये

फिर कभी यहाँ तो कभी वहाँ बैठे,

ख़यालों के समंदर में रवानी थी काफी

लफ्ज़ों की कश्ती भी चलती रही बाकी,

लहरों की तरह ख़्याल टकराये

पर कसम ले लो, हम एक लफ्ज़ भी न उतार पाए,

कागज़ और कलम यूं ही पड़ी रही बेकार है

गर आप लिखने का  शौक  रखते हैं

तो बेझिझक आइये

कागज़ और कलम दोनों ले जाइये…

-रुपाली

Shayari – शौक

उनकी गली से जो गुजरो, नजरें नीची रखना

सुना है

आखों से कही से मुकर जाने का शौक है उन्हें।

-रुपाली

Unki gali se jo gujro, najare nichi rakhna

suna hai

aakhon se kahi se mukar jane ka shauk hai unhe

शहर का हर शख्स जाना पहचाना लगता है।

सुबह की भाग दौड़ है कहीं
बसों की दौड़ हैं कहीं
गाड़ियाँ रुकीं हैं कहीं
हर रस्ता पहचाना लगता है।

कहीं उम्मीद तो कहीं उदासी है
किसी का पेट भरा हुआ तो कोई खाली है
कहीं घाव हरे तो कहीं दवा जारी है
हर दर्द पहचाना लगता है।

अंदर से बाहर तक संदेह छाया है
रिश्तों में अब झूठ गहराया है
नमकीन पानी सागर से ज्यादा आँखों में समाया है
हर जज़्बा पहचाना लगता है।

देखकर भी न देखने वाले हैं
सुनकर भी न सुनने वाले हैं
कहकर भी न कहने वाले हैं
तभी तो
हर पुतला पहचाना लगता है

शहर का हर शख्स जाना पहचाना लगता है।