अश्कों का कोई रंग नहीं होता
ये तो खून है,
जो कभी गालों पे,
कभी आँखों में और
कभी हथेलिओं पे
दिखाई देता है।।
-रुपाली
अश्कों का कोई रंग नहीं होता
ये तो खून है,
जो कभी गालों पे,
कभी आँखों में और
कभी हथेलिओं पे
दिखाई देता है।।
-रुपाली
दुनिया में सबसे ज्यादा तकलीफ़,
माँ-बाप की बेबसी पर होती है।
-रुपाली
Duniya mein sabse jyada taleef,
ma-baap ki bebasi par hoti hai
नामी शायर की रचना
दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम नहीं करते।
-जौन एलिया
लोगों का असहमत होना समझ में आता है।
बात तो खुद से सहमत होने की है।।
-रुपाली
Above all listen to yourself.
Make it a habit.
कुत्ते की हर जरूरियात याद है उसे,
बस
माँ-बाप का गठिया दिमाग से उतर जाता है।
-रुपाली
*** यहाँ “कुत्ता” ये शब्द “मेटाफोर” है “स्टेटस सिंबल ” के लिए। ऐसे काफी लोग हैं जो अपने स्टेटस सिंबल को ज्यादा तवज्जों देते हैं।
पास बैठे मैं दिल की कहती रही,
अचानक उन्होंने पूछा ये शोर कैसा है।
-रुपाली
बस इतना बता दे,
झूट क्या है, तेरी आँखें या तेरी बातें।
-रुपाली
मेरे द्वारा खींची तस्वीर के लिए कुछ शब्द…
यूं तारों पे न बसर होता,
काश उसकी गली में अपना मकां होता।
बहुत कुछ लुटा देते उस पर,
गर थोड़ी सी जमीं, थोड़ा सा आसमां होता।
-रुपाली
मेरे द्वारा खींची तस्वीर के लिए कुछ शब्द-
काम के तो न हम कल थे, न आज हैं।
खुशमिजाजी यूं ही तो बरकरार नहीं रहती।
-रुपाली
(ये तस्वीर मिनिमल (न्यूनतम – जिसमे आपका विषय कम से कम दिखयी दे )फोटोग्राफी दर्शाने के लिए खींची थी)
माँ ने इक उम्र पति के ऐबों को छुपाते गुज़ार दी,
बेटियाँ अपना पति अपने पिता की तरह “perfect” नहीं,
इस एहसास-ए-कमतरी में गुज़ार रही हैं।
– रुपाली
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