शौक फरमाइए

लिखने की तमन्ना में सब इंतजामात किये

फिर कभी यहाँ तो कभी वहाँ बैठे,

ख़यालों के समंदर में रवानी थी काफी

लफ्ज़ों की कश्ती भी चलती रही बाकी,

लहरों की तरह ख़्याल टकराये

पर कसम ले लो, हम एक लफ्ज़ भी न उतार पाए,

कागज़ और कलम यूं ही पड़ी रही बेकार है

गर आप लिखने का  शौक  रखते हैं

तो बेझिझक आइये

कागज़ और कलम दोनों ले जाइये…

-रुपाली

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